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तुमने मुझे निहारा / उद्‌भ्रान्त

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एक अजूबा गन्ध
लग गई मन में आज महकने
ज्योंही तुमने मुझे निहारा

धूप-दीप जल उठे
प्राण के कोने-कोने में
पलक झपकते —
चितवन बदली
जादू-टोने में

एक अजूबा रंग
लग गया मन में आज दहकने
ज्योंही तुमने मुझे निहारा

सन्नाटे में लगी तैरने
एक मधुर हलचल
खटकाए, हौले से कोई
यादों की साँकल

एक अजूबा छन्द
लग गया मन में आज चहकने
ज्योंही तुमने मुझे निहारा