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तुमने हाँ जिस्म तो / रामावतार त्यागी

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तुमने हाँ जिस्म तो आपस में बंटे देखे हैं
क्या दरख्तों के कहीं हाथ कटे देखे हैं

वो जो आए थे मुहब्बत के पयम्बर बनकर
मैंने उनके भी गिरेबान फटे देखे हैं

वो जो दुनिया को बदलने की कसम खाते थे
मैंने दीवार से वो लोग सटे देखे हैं

तन पे कपड़ा भी नहीं पेट में रोती भी नहीं
फ़िर भी मैदान में कुछ लोग दते देखे हैं

जिनको लुटने के सिवा और कोई शौक़ नहीं
ऐसे इंसान भी कुछ हमने लुटे देखे हैं