भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तुमसे-दो / रेणु हुसैन

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


तुमसे मिलकर लगता है

हसीन ये दुनिया हो जाये
जीवन में आ जाये बहार

पर खोल के खुशियां चहक उठें
महक उठे तन-मन में प्यार

रौशन हो जाये तन्हाई
वीराने में आए निखार

मिट जाए सारी बेचैनी
दिल में आ जाये करार

हर लमहा इक इंद्र्धनुष-सा
आंखों में खिल-खिल जाये

इक तेरे दामन में सारे
सपनों को मंज़िल मिल जाये

खुद को भूल ही जाते है हम
खबर नहीं फिर अपनी रहती