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तुमसे आगे-तुमसे ज्यादा / माया मृग
Kavita Kosh से
तुम्हारे पास
सिर्फ एक चिनगारी थी-
मेरे पास लौ की एक पूरी लपट।
मैं तुमसे घना था !
मैं तुमसे बड़ा था !
मैं तुमसे ज्यादा था !
मैं तुमसे आगे था !
तुमने चिनगारी दिखा,
मशाल जला ली,
मैंने लपट से पूरे के पूरे
जगंल में आग लगा दी।
तुम मसीहा कहलाये,
मैं सिरफिरा।
मैं आज भी तुमसे घना हूँ !
मैं आज भी तुमसे बड़ा हूँ !
मैं आज भी तुमसे ज्यादा हूँ !
मैं आज भी तुमसे आगे हूँ !