तुमारा सौं, कागजों मा भर्या गौं / अश्विनी गौड 'लक्की'
खदर्यू म्वार्यू कु,रुण्याट नी,
विकास कु,भिभडाट नी,
यति ऐन-गैन पर,
पाड कु मिमराट नी।
इतगा बर्स बीत्या पर
जनि छौ मि तनी रौ
मै तुमारू गौ----'-
हाथ ऐन,खड़े रैन,
कमल खिली,पर क्या मिली।
हाथीन भी गाणी कै,
उकाळ सैकिल नि चलि,
कुर्सी जख्या तखी रै
पर बोला,तख भि क्या पाई?
हर्चणू मेरु नौ
मी तुमारू गौ ----।
हक पाडौ कू मारी,
गौं बिटि सि, सैरी हवेन।
चै तू माण! चै न माण!
यतिग्या सालौ,कैमा लाण।
ज्वे ऐ,स्वे खे,
कंगाल मालामाल हवे।
मैं त जन्या तन्नी रौ
मैं तुमारू गौ --------।
सतरा साळे उत्तराखंडे,
ज्वान्यू ख्याल कै नि हवे?
सब्बूऽ जिते,परजा पिथे,
ज्वे औंणू, वोट मिथे।
धार-खाळ,गाड-छाळ,
सडक्यू का बिछे जाळ,
ठय्कदार मालामाल।
रीता ह्वेनी गौं-----।
इनै उनै कि नि लावा
झूठ त कुछ भी नी च
सुद्दी मुद्दी डीन्ग न मारा
बै! सूणा द्यौ,
कागजों मा भर्या गौं।
"तुमारा सौं, कागजों मा भर्या गौं""
तुमारा सौं, कागजों मा भर्या गौं""
तुमारा सौं--------।