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तुम्हारा क्या नहीं है, सिवा राम के / आर. चेतनक्रांति
Kavita Kosh से
ओ लंका के धर्म रक्षको !
सारे मृत्यु मंत्र
तुम्हारे पास पड़े हैं
यम के सारे दूत
श्रद्धावान ये सब हत्यारे
ये मृत्युपूजक
मानस पूत तुम्हारे
तैयार खड़े हैं ।
तो जब तक आएँ राम
बजे हत्या का डंका
ख़ून की प्यासी
रह न जाए
सोने की लंका
तिलक रक्त का चढ़ा
पहन कर असुरों का उत्साह
है मेरा शाप तुम्हें
तुम जाओ ताक़तवर की राह ।