तुम्हारा जाना तय करेगा / प्रांजलि अवस्थी
तुम्हारा जाना तय करेगा कि
कितनी ज़रूरत है तुम्हारी
यही कहता हुआ तो
वक्त कुहनी मार कर निकल जाता है
तब समझ आता कि
ठगे से खड़े रह जाने का मतलब क्या होता है?
उम्र की गोद में बैठ बचपन लोरी गाता है
कि मैं वही हूँ जो
नींद में सपने की तरह बीत जाऊँगा
तुम ताउम्र मेरी एक बूँद के प्यासे रहोगे
हर उम्र के कसैले अनुभव के बाद
उस वक्त प्रेम भी अवाक था
जब हवा का असर होते ही
अलग होकर चले जाना उसकी नियति बन गयी
आवाज़ में रूदन के साथ
स्वीकृति का आभास लिए
शब्दों की पकड़ से मुक्त होकर
प्रेमी ने प्रिय से कहा
मेरा जाने का आशय प्रेम की पुनर्स्थापना है
मौत जो एक सच्चे प्रेमी की तरह
सदियों तक इन्तजार में थी
उसके आलिंगन में बँध कर पैरों का उठना
जमीन से जुड़ी देह पर लात मारने जैसा था
पर फिर भी
तुम उसके प्रति क्षोभ और मोह से भर उठे
जैसे जैसे तुम ऊपर उठते गये
तुमने महसूस किया कि
जमीन पर पड़े शरीर में आँखें धँसती जा रही हैं
तुम्हारे शून्य में विलीन होते ही
उसने राख में बदल जाना स्वीकार कर लिया है ...