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तुम्हारा ज्ञान परशुराम से बहुत छोटा है / संजय तिवारी

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गौतम! अब मैं ले रही हूँ जिनका नाम
नाम से बहुत बड़ा है उनका काम
वह तुम्हारे कुलवज से भी पूर्व के राम हैं
शिव का परसु लिए सम्बोधित परशुराम है
तुम जिस धरती के दुखो से भागे थे
परशुराम उसी धरती के मुक्तिदाता हैं
पितृ भक्ति के सबसे बड़े ज्ञाता हैं
 तुम्हें थोड़ी सी कथा सुनाती हूँ
परशुराम के उद्भव और अस्तित्व को बताती हूँ
ब्रह्मर्षि भृगु के वंश वाहक थे जमदग्नि
कौशलपति प्रसेनजित की कन्या थी रेणुका
दोनों से उत्पन्न हुए थे
रूमण्वान
सुषेण
वसु
विश्वासु और
ये राम
अद्भुत है इनका काम
गंधर्वराज चित्ररथ से आकृष्ट हुई रेणुका
जमदग्नि को लगा अपमान और झटका
पांचो पुत्रो को बुलाया
माता की ह्त्या को उकसाया
पीछे भाग गए चार
इस राम ने उठाया हथियार
माँ के सर को धड़ से उड़ाया
पिता की आज्ञा का मान बढ़ाया
उसी पिता से लेकर वरदान
चारो भाई और माँ को भी दिया जीवनदान
एक था महिष्मति का सम्राट
कार्तवीर्य अर्जुन हैहयराज सहस्त्रबाहु नाम था
बलवान तो था पर अत्याचार का काम था
इसी राम ने किया उसका अंत
धरती पर पहली बार सुरक्षित हो सके थे संत
परशुराम की प्रतिज्ञा यूं ही नहीं थी
अत्याचारों से त्रस्त और रुग्ण यह मही थी
ऋषिपुत्र होकर भी वही आदि क्रांतिकारी हैं
उसी राम के ये राम भी आभारी हैं
गौतम? ब्रह्मपुत्र का तट साक्षी है
तपस्वी परशुराम की आकांक्षी है
कथाओ में जिन्हे केवल क्षत्रियो के विरुद्ध बताया गया
उस आदि क्रांतिकारी को सताया गया
इस धरती को आतताइयों से इक्कीस बार किया था मुक्त
पापाचारियों को दिया था दंड बड़ा उपयुक्त
राम से कृष्ण तक की युगयात्रा का यह मान
ऋत्विजो को जिन्होंने पृथ्वी का किया दान
पापियों से मुक्ति का चला कर महा अभियान
सनक पंचक क्षेत्र में कर के संधान
सृष्टि को सहेजने में जो अभी तक लगे हैं
उनकी तपस्या जारी है? फिर भी जगे हैं
तुम्हारा ज्ञान परशुराम से बहुत छोटा है
तथागत? तुम्हारा दर्शन बहुत खोटा है
सच कहती हूँ सिर्फ तुम्हारी बंद आँखे खोल रही हूँ
हां? मैं यशोधरा बोल रही हूँ।