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तुम्हारा प्यार / विमलेश त्रिपाठी
Kavita Kosh से
तुम्हारा प्यार
बुरे दिनों में आई
राहत की चिट्ठियाँ हैं
तुम्हारा प्यार
बसंत की गुनगुनी भोर में
किसी पेड़ की ओट से उठती
कोयल की बेतरह कूक है
तुम्हारा प्यार
लहलहाती गर्मी में
एक गुड़ की डली के साथ
एक ग्लास पानी है