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तुम्हारा यूँ सोचना / नेहा नरुका
Kavita Kosh से
तुम्हारा यूँ बैठना
तुम्हारा यूँ सोचना
भाता है मुझे
याद आता है मुझे
हर एक
वह पल
जिसे मैं बचाकर रखना चाहती हूँ
अपने भीतर