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तुम्हारा शरीर / नन्दकिशोर नवल

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तुम्हारा शरीर
जब मुझ पर सहस्त्रधा
बरसता है,
मेर्रा मन वैसे नाचता है,
जैसे तेज़ बारिश में
एक पत्ती

12.2.1970