तुम्हारी नाट्यशाला / हरिवंशराय बच्चन
काम जो तुमने कराया,कर गया;
जो कुछ कहाया कह गया.
यह कथानक था तुम्हारा
और तुमने पात्र भी सब चुन लिये थे,
किन्तु उनमे थे बहुत-से
जो अलग हीं टेक अपनी धुन लिये थे,
और अपने आप को अर्पण
किया मैंने कि जो चाहो बना दो;
काम जो तुमने कराया,कर गया;
जो कुछ कहाया कह गया.
मैं कहूँ कैसे कि जिसके
वास्ते जो भूमिका तुमने बनाई,
वह गलत थी;कब किसी कि
छिप सकी कुछ भी,कहीं तुमसे छिपाई;
जब कहा तुमने कि अभिनय में
बड़ा वह जो कि अपनी भूमिका से
स्वर्ग छू ले,बंध गई आशा सभी की
दंभ सबका बह गया.
काम जो तुमने कराया,कर गया;
जो कुछ कहाया कह गया.
आज श्रम के स्वेद में डूबा
हुआ हूँ,साधना में लीन हूँ मैं,
आज मैं अभ्यास में ऐसा
जूता हूँ,एक क्या,दो-तीन हूँ मैं,
किन्तु जब पर्दा गिरेगा
मुख्य नायक-सा उभरता मैं दिखूँगा;
ले यही आशा, नियंत्रण
और अनुशासन तुम्हारा सह गया.
काम जो तुमने कराया,कर गया;
जो कुछ कहाया कह गया.
मंच पर पहली दफा मुँह
खोलते ही हँस पड़े सब लोग मुझ पर,
क्या इसी के वास्ते तैयार
तुमने था मुझको, गुणागर ?
आखिरी यह दृश्य है जिसमें
मुझे कुछ बोलना है,डोलना है,
और दर्शक हँस रहे हैं;
अब कहूँगा,थी मुझी में कुछ कमी जो
मैं तुम्हारी नाट्यशाला में
विदूषक मात्र बनकर रह गया.
काम जो तुमने कराया,कर गया;
जो कुछ कहाया कह गया.