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तुम्हारी याद के किस्से / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
तुम्हारी याद के किस्से ।
सतत संवाद के किस्से।।
सुनाये अब नहीं जाते
तुम्हारे बाद के किस्से।।
कहें अब किस तरह बोलो
विकल फरियाद के किस्से।।
बड़े गुमसुम से कोने में
दिले बरबाद के किस्से।।
फ़िज़ाएँ गुनगुनाती हैं
मेरे दिलशाद के किस्से।।
सुनेगा कौन दुनिया में
मगर नाशाद के किस्से।।
कभी थे साथ हम जो उस
रहे आबाद के किस्से।।