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तुम्हारी याद / शीन काफ़ निज़ाम
Kavita Kosh से
हवा
चीड़ों और देवदारों के
घने जंगलों के बीच
किरण
पहली सुबह की
पानियों के दरमियाँ
जाने
अनजाने आती जाती
साँस
तुम्हारी याद