तूम्हारे अँधेरो को 
रोशनी मिले 
घर, मन 
सब जलाया 
मेरा हासिल तो बस 
मुट्ठी भर राख 
ढूँढ़ती
एक नदी
जिसे सौंप दूँ
अपना हासिल
यह मुट्ठी भर राख 
और मुक्त हो जाऊँ
तूम्हारे अँधेरो को 
रोशनी मिले 
घर, मन 
सब जलाया 
मेरा हासिल तो बस 
मुट्ठी भर राख 
ढूँढ़ती
एक नदी
जिसे सौंप दूँ
अपना हासिल
यह मुट्ठी भर राख 
और मुक्त हो जाऊँ