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तुम्हारे ज़ुल्मो-सितम का तो बस बहाना है / ऋषिपाल धीमान ऋषि
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तुम्हारे ज़ुल्मो-सितम का तो बस बहाना है
मेरे नसीब में रो-रो के दिन बिताना है।
शुरू हुई भी न थी बात आप रूठ गये
अभी तो और भी क्या क्या हमें सुनाना है।
उसे ही फूंक दिया चुन के अहले-दुनिया ने
जिस एक शाख़ पे इस दिल का आशियाना है।
निकाल देता इन्हें मैं तो ये कहां जाते
कि मेरा दिल ही तो दुक्खों का इक ठिकाना है।
बजा है, तुमको सभी ने दिया फ़रेब, मगर
बस एक बार मुझे भी तो आज़माना है।
मेरी गली में कई हैं बुरी नज़र वाले
हसीन यार! अंधेरे में तुझको आना है।
जो बात तुमने कही थी वो 'ऋषि' खराब न थी
उन्हें तो सर पे यूँ ही आसमां उठाना है।