भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तुम्हारे प्यार का मौसम / तुम्हारे लिए, बस / मधुप मोहता
Kavita Kosh से
लो अब आया कि अब आया तुम्हारे प्यार का मौसम,
बहुत ही बेवफ़ा निकला तुम्हारे प्यार का मौसम।
मुहब्बत में सदा मचला तुम्हारे प्यार का मौसम,
कभी बच्चा, कभी बूढ़ा तुम्हारे प्यार का मौसम।
ज़रा ख़ामोश तन्हा है, तुम्हारे प्यार का आलम,
कभी जलता, कभी भीगा तुम्हारे प्यार का मौसम।
कभी सूखा, कभी बरसा, तुम्हारे प्यार के रंग से,
मेरे दिल में ही खिलता है तुम्हारे प्यार का मौसम।
कभी अपना सा लगता है, कभी ख़ुद से ही बेगाना,
कभी मचला, कभी रोया, तुम्हारे प्यार का मौसम।