तुम्हारे बिन गुज़ारे है कई दिन / विश्वेश्वर शर्मा
तुम्हारे बिन गुज़ारे है कई दिन
अब न गुज़रेंगे
तुम्हारे बिन गुज़ारे है कई दिन
अब न गुज़रेंगे
जो दिल में आ गयी है आज
हम वो कर ही गुज़रेंगे
ख़बर क्या थी कि
अपने भी सितारे
ऐसे बिगड़ेंगे
ख़बर क्या थी कि
अपने भी सितारे
ऐसे बिगड़ेंगे
कि जो पूजा के काबिल है
वो यूँ बदलेंगे
तुम्हारे बिन गुज़ारे है कई दिन
अब न गुज़रेंगे...
तुम्हारी इक न मानेंगे
करेंगे आज मन मानी
बहुत तरसाया है तुमने
नहीं अब और तरसेंगे
सताया तो नहीं करते
कभी किस्मत के मारों को
किसी की जान जायेगी
किसी के अरमान निकालेंगे
तुम्हारे बिन गुज़ारे है कई दिन
अब न गुज़रेंगे...
जो दिल में आ गयी है आज
हम वो कर ही गुज़रेंगे
तुम्हारे बिन गुज़ारे है कई दिन
अब न गुज़रेंगे...
मनाया तुमको कितनी बार
लेकिन तुम नहीं माने
तो अब मजबूर होकर हम
शरारत पर भी उतरेंगे
हक़ीक़त क्या है
ये पहले बता देते तो अच्छा था
खुद अपने जाल से भी हम न जाने कैसे निकलेंगे
तुम्हारे बिन गुज़ारे है कई दिन
अब न गुज़रेंगे...
कई दिन बाद फिर ये साज़
ये सिंगार पाया है
नहीं मालूम था कि आप यूँ
इंकार कर देंगे
तुम्हें कैसे बताये
क्या हमारे साथ गुज़री है
तुम्हारे ख़्वाब टूटेंगे
अगर सच बात कह दें
तुम्हारे बिन गुज़ारे है कई दिन
अब न गुज़रेंगे...
जो दिल में आ गयी है आज
हम वो कर ही गुज़रेंगे
तुम्हारे बिन गुज़ारे है कई दिन
अब न गुज़रेंगे