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तुम्हारे मेरे बीच / ओम पुरोहित ‘कागद’
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तेरे मेरे बीच
कुछ घूमता है !
ना तुम्हारे पास थमता है
ना मेरे पास !
यह क्या है
तेरे मेरे बीच
जो भ्रमणरत है ?
इस को कोई नाम देते
डर क्यों लगता है ?
अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"