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तुम्हें गर्व है, तुमने छिपकर तीर चलाए / कृष्ण मुरारी पहारिया

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तुम्हें गर्व है, तुमने छिपकर तीर चलाए
मुझे गर्व है, मैंने उनको सहन कर लिया

         तुमने मेरी शुभचिन्ता के अभिनय में जब
         ठगवत अपने मीठे-मीठे बोल निकाले
         तब पहले तो मुझको कुछ विश्वास हुआ था
         अब समझा हूँ मीत तुम्हारे करतब काले

तुम्हें गर्व है, तुमने मुझको विष दे डाला
मुझे गर्व है, मैंने हँसकर ग्रहण कर लिया

         मुसकाते हो अब तुम मेरी दशा देखकर
         सोच रहे हो अन्तर मेरा रोता होगा
         मेरे कौशल को समझोगे आगे चलकर
         तुम डूबोगे ऐसे, अन्तिम गोता होगा

तुम्हें गर्व है, तुमने मेरी पीर बढ़ाई
मुझे गर्व है, मैंने चिन्तन गहन कर लिया

14.08.1962