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तुम्हें गीत सुनने का चाव है / बलबीर सिंह 'रंग'

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तुम्हें गीत सुनने का चाव है,
मैं सुनाऊँ भी तो सुनाऊँ क्या?

कोई गीत ऐसा नया नहीं,
जो कभी भी गाया गया नहीं,
मुझे तुमसे कुछ न दुराव है,
मैं छिपाऊँ भी तो छिपाऊँ क्या?
तुम्हें....

कहीं दर्द है, कहीं घाव है,
नहीं इसका कोई जवाब है,
मुझे हर तरह का अभाव है,
मैं गिनाऊँ भी तो गिनाऊँ क्या?
तुम्हें...

न किसी का कुछ भी प्रभाव है,
यह तो अपना अपना स्वभाव है,
मुझे तुमसे कितना लगाव है,
मैं बताऊँ भी तो बताऊँ क्या?
तुम्हें....