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तुम्हें जो पाया, सब गँवाया / शशि काण्डपाल
Kavita Kosh से
					
										
					
					तुम बिन एक लम्हा,
इक दिन सा,
गुजारे  ना गुजरा...
तुम बिन एक दिन, 
सदी सा,
जिया ना गया 
तुम बिन सांसे 
चलीं तो,
लेकिन ली ना गईं...
लम्हात और ज़ज्बात
उमड़े तो 
लेकिन बयाँ ना हुए...
बस वो वक़्त कहाँ उड़ जाता है,
जो तेरे साथ होने पर नजर आता है...
	
	