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तुम्हें है मेरा वंदन / प्रेमलता त्रिपाठी
Kavita Kosh से
सुनो हे पथ कंटक ,तुम्हें है मेरा वंदन,
पाँव को देते चुभन,तुम्ही हो मीत सदा ।
जगाकर पीड़ा के पल,पुनः देते हो जीवन,
आस की नयी किरण,बने हो गीत सदा ।
सहे जो शीत सावन,कहीं बारूदी तपन,
मिटे जो देश कारण,दिये हैं जीत सदा ।
महत होती लगन,वीर मन है पावन,
थमे क्यों आँसू नयन,यही है नीत सदा ।
राग रंग डूबा मन, नहीं जीवंत सघन,
सुंदर स्मृति कंचन, जगायें प्रीत सदा ।