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तुम्हे जब धूप का एह्सास होगा / सर्वत एम जमाल
Kavita Kosh से
तुम्हें जब धूप का एहसास होगा
मेरी बातों पे तब विश्वास होगा
अभी तो मुस्कुरा लो हादसों पर
मगर कल जब यही इतिहास होगा ?
अहिल्या आज फिर पथरा गयी है
किसी राजा को फिर वनवास होगा
जमेंगे पाँव मजबूती से इक दिन
कोई कब तक हवा का दास होगा ?
इसी उम्मीद पर सब जी रहे हैं
कभी सुख भी हमारे पास होगा
फिजा में उड़ रहे हो आज तो क्या
हवा का जोर बारहमास होगा?
नई फसलें उगेंगी जब भी सर्वत
यहाँ तब रक्स होगा, रास होगा