भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तुम्हें देखे ज़माने हो गए हैं / शीन काफ़ निज़ाम
Kavita Kosh से
(तुम्हे देखे ज़माने हो गए हैं / शीन काफ़ निज़ाम से पुनर्निर्देशित)
भरी है धूप ही धूप
आँखों में
लगता है
सब कुछ उजला उजला
तुम्हें देखे ज़माने हो गए हैं