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तुम-1 / नील कमल
Kavita Kosh से
खेतों से गुज़रते हुए
लगा कि तुम्हारी देह
धानी फसल में
तब्दील हो गई है
और फूटने लगी है
पकते अनाज की ख़ुशबू
मेरा सपना
फिर जी उठता है ।