दुनिया ने तुम्हें बुद्ध कहा
माना
पर दिल पर हाथ रख कर
पूछना अपने आप से
क्या
तुम सच में
बुद्ध बन सके थे?
क्या तुम्हें मिल गए थे
उन सभी प्रश्नो के उत्तर
जिनकी वेदना
तुम्हें पलायन तक ले गयी?
कभी सोचा
कि
बिना बाप का कोई राहुल
कैसे पलता होगा?
कैसे छलता होगा
यह समाज जब उसे सवालो में
बांधता होगा
जीवित अथवा मृत
क्या बताता होगा?
कि
हमारा पुत्र
जब भी सवाल करता होगा
मुझसे
या कि
खुद से?
कितना समझ पाता होगा?
मैं तो आंसू छलका कर बता ही देती
गौतम से बुद्ध होने की कथा
पर
तुम न गौतम रह गए
न बुद्ध
अब खुद से पूछना
केवल छोड़ देना नहीं हो सकता बुद्ध का मार्ग
बुद्ध तो सद्यःस्नातात्मा की संज्ञा है
फिर कैसे तुम्हें मान लू बुद्ध
यकीन करो
गौतम
तुम अबुद्ध ही रह गए।