भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तुम उससे प्यार नहीं करना / कमलेश द्विवेदी
Kavita Kosh से
सबसे इक़रार नहीं करना सब पर एतबार नहीं करना।
जो कोई तुमसे कर न सके तुम उससे प्यार नहीं करना।
सारे फूलों में गंध नहीं
होता सबमें मकरंद नहीं।
लगते हैं अच्छे सब लेकिन
सबसे जुड़ते सम्बन्ध नहीं।
निर्गन्ध फूल का हार मिले उसको स्वीकार नहीं करना।
जो कोई तुमसे कर न सके तुम उससे प्यार नहीं करना।
ये प्यार नदी की धारा है
इसका जल मीठा-प्यारा है।
जो कोई इसमें डूब गया
वो पाया नहीं किनारा है।
जब तक न समझना गहराई तुम नदिया पार नहीं करना।
जो कोई तुमसे कर न सके तुम उससे प्यार नहीं करना।
सीता-रघुनन्दन से सीखो
राधा-यदुनन्दन से सीखो।
तुम प्यार अगर करना चाहो
मीरा से मोहन से सीखो।
ऐसा रिश्ता मिल जाये तो उससे इंकार नहीं करना।
जो कोई तुमसे कर न सके तुम उससे प्यार नहीं करना।