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तुम और मैं / विनोद शर्मा
Kavita Kosh से
मैं पुरुष हूं
सृष्टि की बांसुरी का स्वर
मगर नश्वर
तुम स्त्री हो
नश्वर तुम भी हो
मगर पुरुष के प्यार को
स्वीकार कर
उसे अमर करने में समर्थ हो
‘प्रकृति’
ईश्वर के मुख से निकला
पहला और अंतिम शब्द है
तुम उसका गूढ़ अर्थ हो।