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तुम कहती हो! / समझदार किसिम के लोग / लालित्य ललित

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तुम कहती हो
मैं तुम्हें याद नहीं करता
यह
तुम्हारा सोचना है
कभी सोचा है
कि
कुएं से हर बार
पानी निकालो
फिर-फिर निकालो
आवश्यकतानुसार निकालो
पानी कभी खत्म नहीं होता
अगर
खत्म हो भी जाए पानी
तो
एहसास ए-वजूद
खत्म ना होगा
कभी भी
यह जान लो तुम
अच्छे से जालिम
और
तुम कहती हो
कि
मैं तुम्हें
याद नहीं करता