भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तुम को / समझदार किसिम के लोग / लालित्य ललित

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 

तुमको
तुमसे चुरा लूं अगर
बुरा तो नहीं मानोगी
नहीं !
कमसिन लड़की ने जवाब दिया
और
लड़की चोरी हो गई
माँ-बाप की अस्मत
हुई धाराशायी
आंखें पथरायी
समाज घबराया
सांप ने फन लहराया
कानून की सख्ती
नोटों के सामने
हवा हो गई
वो
जा रहे
उस चोरी हुई लड़की के
माँ-बाप
सहमे-से सकुचाए-से
सिमटे से आपने आप से
मैं ऐसा बिल्कुल भी
नहीं चाहता
मैं चाहता हूँ
कि
तुमको
यदि कभी चुराऊं
तो
गाजे-बाजे के साथ
लड़के ने कहा
और लड़की भीग गई
स्नेह की इस बारिश में
आज लड़की विदा हुई
विदा करते माँ-बाप
की
आंखें गीली हैं