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तुम खयालों में मेरे न आया करो / चेतन दुबे 'अनिल'
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तुम खयालों में मेरे न आया करो।
दिल की देहरी से ही लौट जाया करो।
तुमको मुझसे अगर कोई परहेज है -
धूप में मेरे सिर पे न साया करो।
तेरी मुस्कान पर लुट गए अश्क सब -
मत मेरे भाग्य पर मुस्कुराया करो।
अपने सपनों को साकार कर लो मगर -
मेरे सपनों को मत यों ढहाया करो।
अपने मतलब की खातिर मेरी जाँनेजाँ!
प्यार को इस तरह मत भुनाया करो।
तुमको लग जायगी चाँद ही की नजर -
चाँदनी में न ऐसे नहाया करो।
खाक हो जायगीं जल के सब मछलियाँ -
आग पानी में मत यों लगाया करो।
ज़िन्दगी चार दिन की है जानेजिगर-
जो भी वादा करो वो निभाया करो।