तुम ज़रुर गाना मेरी लाड़ली / निदा नवाज़
(हर उस बेटी के नाम जिसके मयूज़िक-बेंड ”प्रागाश” पर कश्मीर घाटी में एक फ़त्वा द्वारा पाबंदी लगा दी गई)
तुम डरना नहीं मेरी लाडली
बल्कि सीखना
डर को एक सुरेली लय में
ढालने की कला
तुम ज़रुर गाना
और मुस्कुराना भी
अपनी ख़ुशी के लिए
अपने सपनों के लिए
और उन लोगों के लिए भी
जिनके रेतीले विचारों को
तुम्हारे गीतों के तीव्र बहाव से
डर लगता है
वे तुम्हें धकेलना चाहते हैं
प्राचीन घुफाओं में वापस
इनकी नज़रों में तुम्हारे अर्थ
कडुवे क्सीले धुएं
एक मेटर्स के गिलाफ़
और बच्चे जनने की एक मशीन
के सिवा कुछ भी नहीं
वे कुतरना चाहते हैं तुम्हारे पंख
छीन लेना चाहते हैं तुम से
तुम्हारी मुस्कुराहटें
तुम्हारे सपने
तुम ज़रुर मुस्कुराना मेरी लाडली
और मुस्कुराते मुस्कुराते
गाना भी कोई गीत
प्यार का, मानवता का, ब्रम्हाण्ड का
और गाते गाते
तुम डालना तारों पर कमंदें
मुठी में भर लेना
सारे कहकशां
छूना सारे आसमां
कि तुम मेरी लाडली
वह तितली हो
जिस ने तेज़ हवाओं में भी
उड़ना अब सीख लिया है.