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तुम जो चाहो मिरी हंसी ले लो / ईश्वरदत्त अंजुम

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तुम जो चाहो मिरी हंसी ले लो
मेरी सांसों की ताज़गी ले लो

बख़्श दो इक सुकून का लम्हा
मेरी किस्मत की हर खुशी ले लो

आहो-जारी को इक तरफ रख कर
काम तुम ज़ब्त से कभी ले लो

मेरे दामन में डाल कर सब ग़म
आप खुशियां जहान की ले लो

जिन्नते-गुलिस्ताने-दिल के लिए
उनके जल्वों से दिल कशी ले लो

ख़ुश्क दरियाओं से कहो अंजुम
मेरी आंखों से कुछ नमी ले लो