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तुम जो बोलो वही सही है / रंजना वर्मा

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तुम जो बोलो वही सही है
हमने मन की बात कही है

अँधियारे में चलो संभल कर
फिसलन से भर गयी मही है

मीठी ही कह कर सब बेचें
किसने खट्टी कही दही है

जब मतलब की बात चलाई
बात अधूरी सदा रही है

विपदा में मुँह फेर गये सब
किसने किसकी बाँह गही है

मर्मान्तक आघात सहा जब
तब गिरि से जल धार बही है

नींव नहीं थी गहरी जिसकी
आज इमारत वही ढही है