भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तुम जो सुथरे पथ उतरे हो / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
Kavita Kosh से
हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।
तुम जो सुथरे पथ उतरे हो,
सुमन खिले, पराग बिखरे, ओ!
ज्योतिश्छाय केश-मुख वाली,
तरुणी की सकरुण कलिका ली,
अधर-उरोज-सरोज-वनाली,
अश्रु-ओस की भेंट भरे हो।
पवन-मन्द-मृदु-गन्ध प्रवाहित,
मधु-मकरन्द, सुमन-सर-गाहित,
छन्द-छन्द सरि-तरि उत्साहित,
अवनि-अनिल-अम्बर संवरे हो।
स्वर्ण-रेणु के उदयाचल-रवि,
दुपहर के खरतर ज्योतिशछवि,
हे उर-उर के मुखर-मधुर कवि,
निःस्व विश्व को तुम्हीं वरे हो।