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तुम तक / अनुपमा पाठक
Kavita Kosh से
सजल आँखों से जलाया
देहरी पर एक दीप...
मन का आँगन
लिया पहले ही था लीप...
बड़े स्नेह से बुला रहे हैं
ज़िन्दगी ! आओ न समीप...
हम भी तुम तक ही तो आ रहे हैं
चुनते हुए भावों के मोती सीप... !!