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तुम तौ खाओ दूध-मलाई जी भरिकै / अशोक अंजुम
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तुम तौ खाओ दूध-मलाई जी भरिकै
हमकों खाय रई महँगाई जी भरिकै
कल कूँ सिगरे सिंथेटिक ही पीओगे
गैया काटें रोज कसाई जी भरिकै
नेता - अफसर लूटि रए हैं जनता कूँ
चोर-चोर मौसेरे भाई, जी भरिकै
होय न सत्यानास जब तलक भारत कौ
हिन्दू-मुस्लिम करौ लड़ाई जी भरिकै
जे छिछोरगर्दी तुमकूँ लै ही डूबी
चौराहे पै भई पिटाई जी भरिकै
वो आरक्षन पायकेँ अफसर बनि बैठे
'अंजुम' तुमनें करी पढ़ाई जी भरिकै