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तुम दलबदलू यार, तुम्हारे जलवे हैं / अशोक अंजुम
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तुम दलबदलू यार, तुम्हारे जलवे हैं
कुर्सी पर हर बार, तुम्हारे जलवे हैं
राजनीति से पहले इकदम पैदल थे
अब दर्जन-भर कार, तुम्हारे जलवे हैं
मरघिल्ले थे तुम अब सेहतमंद हुए
लोकतंत्र बीमार, तुम्हारे जलवे हैं
जब-जब लगता सभी व्यवस्था चौकस हैं
तब-तब छेड़ो रार, तुम्हारे जलवे हैं
जनता को हैं बड़ी-बड़ी सब बीमारी
तुमको नहीं बुखार, तुम्हारे जलवे हैं
सचमुच में ही बड़े घाघ लीडर हो तुम
कोई हो सरकार, तुम्हारे जलवे हैं
हम तरसेंं के कभी किसी दिन चैन मिले
तुमको सब इतवार, तुम्हारे जलवे हैं
पिछली बार रहे थे शायद इस दल में
उस दल में इस बार, तुम्हारे जलवे हैं