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तुम नहीं पास कोई पास नहीं / 'जिगर' बरेलवी

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तुम नहीं पास कोई पास नहीं
अब मुझे ज़िंदगी की आस नहीं

साँस लेने में दर्द होता है
अब हवा ज़िंदगी की रास नहीं

लाला ओ गुल बुझा सकें जिस को
इश्‍क़ की प्यास ऐसी प्यास नहीं

राह में अपनी ख़ाक होने दे
और कुछ मेरी इल्तिमास नहीं

क्या बताऊँ मआल-ए-शौक़ ‘ज़िगर’
आह क़ाएम मेरे हवास नहीं