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तुम नहीं हो / रुस्तम
Kavita Kosh से
‘तुम नहीं हो’, ‘तुम नहीं हो’, कितनी बार मुझे कहना होगा
कि तुम नहीं हो, जाओ। तुम्हारे न होने और न होने के बीच
एक जगह है जो मुझे पार करनी है। तुम थीं तो जगह कुछ
और थी: तुम्हारे होने और होने के बीच। तुम जो कभी
नहीं थीं और अब हो, या तुम जो केवल कभी-कभी थीं
और अब नहीं हो, सदा मुझे यात्रा में रखती हो।