भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तुम न जाने किस जहाँ में खो गए / साहिर लुधियानवी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुम न जाने किस जहाँ में खो गए

हम भरी दुनिया में तनहा हो गए


मौत भी आती नहीं, आस भी जाती नहीं

दिल को यह क्या हो गया, कोई शैय भाती नहीं

लूट कर मेरा जहाँ, छुप गए हो तुम कहाँ


एक जाँ और लाख ग़म, घुट के रह जाए न दम

आओ तुम को देख लें, डूबती नज़रों से हम

लूट कर मेरा जहाँ, छुप गए हो तुम कहाँ


तुम न जाने किस जहाँ में खो गए

हम भरी दुनिया में तनहा हो गए