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तुम पढ़ती क्या रहती हो / सुजाता
Kavita Kosh से
किताब पढ़ती औरतें
अश्लील दिखती हैं
ऊबी हुई वे दिखती हैं
ममत्व से भरी
कि जैसा उन्हें होना चाहिए
किताबें जो नहीं सिखातीं उन्हें
बच्चों को प्यारा और गोल मटोल
बनाए रखने का सलीका
किताबें जो आखिरकार
रीढ़ पर रेंगते हुए
गर्दन तक आती हैं
नोच लेती हैं मुखौटे
और नंगे कर देती हैं चेहरे
प्यारे भोले लोग
उन्हें पिशाच कहते होंगे
मेरी मानो
समय रहते
झाड़ फूंक जंतर करा लो
पढ़ती औरतों
और अश्लील किताबों का!