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तुम प्यार से देखो मुझे / प्रदीप शर्मा
Kavita Kosh से
तुम प्यार से देखो मुझे
मुझे नवजीवन दे दो।
जिसे मन में सजाया हो
वह प्रेम सुमन दे दो।
युग–युग से भटका हूँ
एक पल के लिये प्रियतम,
जन्मों की है आस यही
कब होगा वह संगम?
सदियों का साथ नहीं
पल भर का मिलन दे दो।
तुम प्यार से देखो मुझे
इस जग के सरोवर में
हर पल रहती हलचल,
झिलमिल झिलमिल करता
मेरी प्रीत का ताजमहल,
मेरी प्रीत अचल कर दो
मुझे मन दर्पण दे दो।
तुम प्यार से देखो मुझे
मन पंख लगा कर के
उड़ता रहा नभ सारा,
अब प्रीत की छाया में
आया है थका हारा,
प्रिये प्रणय सूत्र से तुम
इसे चिर बन्धन दे दो।
तुम प्यार से देखो मुझे
देखा है जब से तुम्हें
मेरे नयन रहे न मेरे,
जग की जगमग से ये
बैठे हैं ये मुंह फ़ेरे,
इन्हे नित दर्शन दे दो
मुझे मेरे नयन दे दो
तुम प्यार से देखो मुझे