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तुम प्रेम के घनश्याम मैं प्रेम की श्याम-प्यारी / काजी नज़रुल इस्लाम

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तुम प्रेम के घनश्याम मै प्रेम की श्याम-प्यारी।
प्रेम का गान तुम्हारे दान मै हूँ प्रेम भीखारी।।
हृदय बीच में यमुना तीर-
तुम्हारी मुरली बाजे धीर
नयन नीर की बहत यमुना प्रेम से मतवारी।।
युग युग होये तुम्हारी लीला मेरे हृदय बन में,
तुम्हारे मोहन-मन्दिर पिया मेहत मेरे मन में।
प्रेम-नदी नीर नित बहती जाय,
तुम्हारे चरण को काँहू ना पाय,
रोये श्याम-प्यारी साथ बृजनारी आओ मुरलीधारी।।