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तुम बहुत अच्छे हो / निशांत
Kavita Kosh से
आज अचानक हाथों में आ गया
एक वाक्य
बहुत दिन पहले
जब उम्र समझने वाली हो रही थी
एक चिट पर लिख कर 'उसने कहा था' --
'तुम बहुत अच्छे हो !'
एक
बहुत बड़े तूफ़ान के गुज़र जाने के बाद
जिससे भीग गया था मेरे कुर्ते का कॉलर
मेरा रूमाल
थोड़ी-सी पृथ्वी
उसने कक्षा में
धीरे से लिखकर बढ़ा दिया था 'यह' वाक्य
पहली बार
पूरे जीवन में
किसी ने लिखकर कहा था
'तुम बहुत अच्छे हो !'
आज इक्कीस साल बाद
यह एक वाक्य
फिर हाथ लगा
फिर तुम्हारी याद आई
फिर मन तरसा
कोई लिखकर कहे-
'तुम बहुत अच्छे हो'।