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तुम बिन जीवन कैसा जीवन / कैफ़ी आज़मी
Kavita Kosh से
तुम बिन जीवन कैसा जीवन
फूल खिलें तो दिल मुरझाए
आग लगे जब बरसे सावन
रूठे तुम जबसे पिया, रूठे तुम जबसे पिया
सूना-सा है मन का डेरा, बैरी है दुनिया
बाँटे कोई क्यों दुख मेरा,
अपने आँसू, अपना ही दामन
तुम बिन जीवन कैसा जीवन
कैसे दिल बहले हँसना चाहूँ, रोना आए
सूना जग सारा, कुछ न सूझे, कुछ न भाए
तोड़ गए तुम मन का दर्पण
तुम बिन जीवन कैसा जीवन
फ़िल्म : बावर्ची-1972