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तुम भरो अब उड़ान किश्तों में / रंजना वर्मा

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तुम भरो अब उड़ान किश्तों में।
नाप लो आसमान किश्तों में॥

राह आसान नहीं उल्फ़त की
इश्क़ लेता है जान किश्तों में॥

दिल में थी चाह आशियाने की
बन रहा है मकान किश्तों में॥

चर गये खेत जानवर सारे
बंध रहा है मचान किश्तों में॥

कर्ज बे इंतहा बढ़ा जाता
आज मरता किसान किश्तों में॥

ख़ुदपरस्ती ने इस क़दर मारा
लुट गयी आन बान किश्तों में॥

रोज़ सरहद पर मर रहा देखो
देश का नौजवान किश्तों में॥