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तुम भी कहीं खजाना पाओ / शकुंतला कालरा

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मिंटू पूछे-बोलो नानी,
मेघ कहाँ से लाते पानी।
सागर से है सूरज लेता,
वापस बादल को दे देता।

जल बरसाकर प्यास बुझाते,
बादल धरती को लौटाते।
जल बह फिर नदियों में आए,
नदी उमड़ सागर में जाए।

नानी माँ उसको समझाए,
एक पते की बात बताए।
तुम भी कहीं खजाना पाओ,
पर-हित में तब उसे लगाओ।