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तुम भी सीख लो / नरेश मेहन

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मैं
फूल हूँ
सौंदर्य का प्रमिमान।
मेरा रंग-रूप
खूशबू
सब खूबसूरत हैं।
मैं
जिस स्थान पर होता हूँ
उसको भी बना देता हूँ
मनमोहक
मैं
तीखी और कंटीली
डालियों पर भी
हरदम मुस्करात रहता हूँ
आओ
तुम भी सीख लो
समाज को सुन्दर बनाना
ताकि वह
हर वक्त मुस्कारता रहे
मेरी तरह
हर संकट में